Friday, July 18, 2025
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Raj-Uddhav Thackeray Rally : मराठी विजय रैली में गरजे उद्धव ठाकरे, हम एकजुट रहने के लिए साथ आए हैं

शिवसेना (उबाठा) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा कि वह और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे एकजुट रहने के लिए साथ आए हैं।

Raj-Uddhav Thackeray Rally : शिवसेना (उबाठा) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा कि वह और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे एकजुट रहने के लिए साथ आए हैं। दोनों चचेरे भाईयों ने मराठी पहचान और हिंदी भाषा थोपने के खिलाफ दो दशक के बाद पहली बार शनिवार को राजनीतिक मंच एक साथ नजर आए। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार द्वारा हिंदी भाषा संबंधी सरकारी आदेश (जीआर)वापस लिए जाने का जश्न मनाने के लिए वर्ली में आयोजित ‘विजय’ रैली को संबोधित करते हुए उद्धव ने आगामी नगर निकाय चुनाव साथ मिलकर लड़ने का संकेत दिया।

सीएम फडणवीस ने वो काम कर दिया, जो बालासाहेब नहीं कर सके: उद्धव

यहां के एनएससीआई डोम में आयोजित रैली में भारी भीड़ की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच उन्होंने कहा, ‘‘हम एकजुट रहने के लिए एक साथ आए हैं। हम एक साथ मिलकर बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी)और महाराष्ट्र में सत्ता हासिल करेंगे। मुंबई के प्रतिष्ठित नगर निकाय को शिवसेना अपना गढ़ और गृहक्षेत्र मानती है, तथा अन्य नगर निकाय चुनाव आगामी महीनों में होने वाले हैं। उद्धव से पहले रैली को संबोधित करते हुए राज ने चुटकी ली और कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दोनों चचेरे भाइयों को एक साथ लाकर वह काम कर दिया है जो शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे और अन्य लोग नहीं कर सके।

चचेरे भाई के साथ मतभेदों के कारण शिवसेना छोड़ने के बाद राज ठाकरे ने वर्ष 2005 में मनसे का गठन किया और इसे भूमिपुत्रों के हितों के सच्चे हिमायती के रूप में पेश किया। इस अवधि के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में अपना विस्तार किया और 2022 में शिवसेना को विभाजित करने वाले एकनाथ शिंदे और अजित पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ हाथ मिलाया। पिछले चार महीनों में ठाकरे बंधुओं के एकसाथ आने की मांग तेज हो गई थी।

ठाकरे बंधुओं ने ‘विजय’ रैली आयोजित की

दोनों ठाकरे बंधुओं के साथ आने के लिए त्रि-भाषा नीति और तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को शामिल करने के मामले में राज्य सरकार का ढुलमुल रवैया एक साझा आधार साबित हुआ। माना जा रहा है कि अलग हुए दोनों चचेरे भाइयों के एक साथ आने से न केवल दोनों दलों के कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ेगा बल्कि इससे दोनों दलों को भी संजीवनी मिल सकती है, जो पिछले साल विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

पिछले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना(उबाठा)को महज 20 सीट मिली थीं जबकि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को 57 सीटें मिलीं। मनसे का खाता भी नहीं खुला। मनसे अध्यक्ष ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा कि राज्य सरकार द्वारा लागू किया गया त्रिभाषा फार्मूला, मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की उनकी योजना की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि सरकार को प्रस्तावित विरोध मार्च के मद्देनजर ही विवादास्पद जीआर वापस लेना पड़ा। सरकारी आदेश को रद्द कर दिया गया जिसके बाद ठाकरे बंधुओं ने ‘विजय’ रैली आयोजित की।

राज ठाकरे ने आशंका जताई कि भाषा विवाद के बाद सरकार का राजनीति में अगला कदम लोगों को जाति के आधार पर बांटना होगा। उन्होंने आरोप लगाया किया, भाजपा की चाल फूट डालो और राज करो की है। विपक्ष ने राज ठाकरे पर बेटे को ‘कॉन्वेंट में शिक्षा’ दिलाने को लेकर कटाक्ष किया है। इसे खारिज करते हुए मनसे अध्यक्ष ने कहा कि दक्षिण भारत में कई नेता और फिल्मी सितारे अंग्रेजी स्कूलों में पढ़े हैं, लेकिन उन्हें तमिल और तेलुगु भाषाओं पर गर्व है।

बालासाहेब ने अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाई की, लेकिन मराठी समझौता नहीं किया

विपक्ष अक्सर राज और उद्धव पर उनके बेटों क्रमश: अमित और आदित्य की कॉन्वेंट स्कूली शिक्षा को लेकर निशाना साधता रहा है। राज ठाकरे ने कहा, बालासाहेब ठाकरे ने अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाई की थी, अंग्रेजी अखबार में काम किया था, लेकिन उन्होंने मराठी की स्थिति से कभी समझौता नहीं किया। उन्होंने कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भी कॉन्वेंट स्कूल में पढ़े हैं, तो क्या इसलिए उनके हिंदुत्व पर सवाल उठाया जाना चाहिए।

उद्धव ने कहा कि वे सरकार को लोगों पर हिंदी थोपने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि किसी को भी मराठी और महाराष्ट्र पर बुरी नजर नहीं डालनी चाहिए। उद्धव ने कहा, हमारी ताकत हमारी एकता में होनी चाहिए। जब ​​भी कोई संकट आता है तो हम एकजुट हो जाते हैं और उसके बाद हम फिर आपस में लड़ने लगते हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा द्वारा गढ़ा गया नारा ‘‘बंटेंगे तो कटेंगे’’ हिंदुओं और मुसलमानों को बांटने के लिए था।

उद्धव ने दावा किया कि हकीकत में, भाजपा ने इसका इस्तेमाल महाराष्ट्रवासियों को विभाजित करने के लिए किया। उन्होंने भाजपा को ‘‘राजनीति में व्यापारी’’ करार दिया। शिवसेना (उबाठा) अध्यक्ष ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर कटाक्ष करते हुए कहा, मराठी मानुष आपस में लड़े और दिल्ली के गुलाम हम पर शासन करने लगे। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में आयोजित एक कार्यक्रम में शिंदे द्वारा ‘जय गुजरात’ का नारा लगाने की भी आलोचना की और इसे हताशा का कार्य बताया।

शिवसेना(उबाठा) और मनसे की संयुक्त ‘विजय’ रैली में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार)की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले और अन्य नेता मौजूद रहे, लेकिन केवल राज और उद्धव ही मंच पर मौजूद रहे और जनसभा को संबोधित किया। अगली पीढ़ी के नेता आदित्य और अमित ठाकरे ने पहली बार एक दूसरे के कंधों पर हाथ रखकर एक साथ पोज दिया। बाद में, जब राष्ट्रगान बजाया गया तो अमित और आदित्य अपने चाचाओं के बगल में खड़े थे। कार्यक्रम स्थल के बाहर माहौल उत्साहपूर्ण था। हजारों मनसे और शिवसेना(उबाठा) कार्यकर्ता हाथों में झंडे लिए और नारे लगाते हुए संयुक्त रैली स्थल की ओर उत्साहपूर्वक जा रहे थे।

भारी भीड़ के बीच, सैकड़ों कार्यकर्ता ठाकरे बंधुओं को सुनने के लिए वर्ली स्थित एनएससीआई डोम परिसर में जमा हुए। दोनों दलों ने अपनी ताकत दिखाने के लिए हरसंभव कोशिश की थी। मुंबई और एमएमआर के विभिन्न इलाकों में एलईडी स्क्रीन लगाई गई थी। शिवसेना (उबाठा) विधायक आदित्य ठाकरे के निर्वाचन क्षेत्र वर्ली में राज और उद्धव की तस्वीर वाले कई होर्डिंग्स लगाए गए थे। शिवसेना (उबाठा)और मनसे के नेताओं ने कई जगहों पर बैनर लगाए थे, जिनमें दोनों भाइयों से मराठी मानुष के लिए हमेशा एकजुट रहने की अपील की गई थी।

Mukesh Kumar
Mukesh Kumarhttps://jagoindiajago.news/
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